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RTI को पंचायत में रौंदा गया? बाड़मेर की ग्राम पंचायत पनोरिया पर गंभीर आरोप

स्थान: ग्राम पंचायत पनोरिया, पंचायत समिति फागलिया, जिला बाड़मेर (राजस्थान)

🖋️ वन्दे भारत लाइव टीवी न्यूज़ से संवाददाता एवं सामाजिक कार्यकर्ता मांगीलाल विश्नोई की विशेष रिपोर्ट

🔍 पंचायत में RTI की खुली अनदेखी! बजट तो स्वीकृत, पर जवाबदेही से मुँह मोड़ते अधिकारी
राजस्थान में लोकतंत्र का एक सशक्त स्तंभ माने जाने वाला सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (RTI) अब बाड़मेर जिले की ग्राम पंचायतों में उपेक्षा का शिकार होता नज़र आ रहा है। ग्राम पंचायत पनोरिया, जो कि नरेगा योजना एवं सामान्य पंचायत कार्यों हेतु बजट प्राप्त कर रही है, वहाँ की कार्यप्रणाली पर अब गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
📌 क्या है मामला?
वन्दे भारत लाइव टीवी न्यूज़ के संवाददाता और सामाजिक कार्यकर्ता मांगीलाल विश्नोई ने ग्राम पंचायत पनोरिया के राज्य लोक सूचना अधिकारी एवं ग्राम विकास अधिकारी मनोहर को RTI अधिनियम के अंतर्गत दो अलग-अलग ऑनलाइन आवेदन दिनांक 16 मई 2025 और 22 मई 2025 को प्रस्तुत किए। इन आवेदनों में विशेष रूप से नरेगा योजना के अंतर्गत कार्यों और सामान्य विकास योजनाओं हेतु स्वीकृत बजट एवं व्यय का विवरण मांगा गया था।

लेकिन RTI अधिनियम के अनुसार निर्धारित 30 दिन की समयसीमा में न तो सूचना दी गई और न ही कोई उत्तर।

📝 प्रथम अपीलों का भी नहीं मिला जवाब
जब ग्राम विकास अधिकारी मनोहर से कोई जवाब नहीं मिला, तो मांगीलाल विश्नोई ने प्रथम अपील दिनांक 01 जुलाई 2025 और 03 जुलाई 2025 को ग्राम पंचायत के सरपंच एवं प्रशासक मालाराम बिश्नोई के समक्ष प्रस्तुत की। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि पंचायत प्रतिनिधियों ने भी पूरी तरह से चुप्पी साध ली।

⚖️ अब मामला राज्य सूचना आयोग, जयपुर की चौखट पर

अब यह मामला सीधे राज्य सूचना आयोग, जयपुर पहुँच चुका है। द्वितीय अपील में मांग की गई है कि संबंधित सूचना अविलंब उपलब्ध करवाई जाए और साथ ही ग्राम विकास अधिकारी व पंचायत प्रतिनिधियों पर RTI अधिनियम की धारा 20 के तहत ₹25,000 तक का जुर्माना और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

💬 जनता पूछ रही है:
पंचायत में नरेगा और सामान्य योजनाओं के लिए हर वर्ष लाखों का बजट आता है, लेकिन उसका उपयोग और व्यय पारदर्शिता से क्यों नहीं बताया जा रहा?

क्या RTI के माध्यम से सवाल करना अब पंचायत में अपराध बन गया है?

जिम्मेदार पदों पर बैठे मनोहर (ग्राम विकास अधिकारी) और मालाराम बिश्नोई (सरपंच/ग्राम प्रशासक) का यह रवैया क्या लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों का अपमान नहीं?

🔦 बजट पारदर्शिता बनाम प्रशासनिक चुप्पी: एक बड़ा टकराव
RTI एक संवैधानिक हथियार है जिससे जनता शासन से जवाब मांगती है। जब अधिकारी इसका सम्मान न करें और योजनाओं से जुड़े बजट व कार्यों को छुपाएं, तो भ्रष्टाचार और मनमानी की आशंका प्रबल हो जाती है।

🗣️ RTI का अपमान, लोकतंत्र का अपमान
यदि प्रशासन ही कानूनों की अवहेलना करेगा, तो आमजन की आवाज़ कौन सुनेगा? RTI को रोकना केवल सूचना नहीं, बल्कि जवाबदेही और पारदर्शिता की हत्या है।

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